चुपके चुपके
कुछ भागा है
कुछ भाग रहा है
बरसों से छाया अंधियारा
भोर किरण से डर अपना ।
कुछ चमका है
कुछ चमक रहा है
पूनम जैसी रातों मे
चंदा जैसा जीवन अपना ।
कुछ महका है
कुछ महक रहा है
नित प्यार की खिलती कलियों से
घर आंगन का उपवन अपना ।
कुछ बदला है
कुछ बदल रहा है
जीवन की इन राहों मे
चुपके चुपके नसीब अपना ।।
राज विग 25.02.2021