चुन्नू की सायकिल
04• चुन्नू की सायकिल
आज चुन्नू का जन्मदिन था।मम्मी-डैडी,दादा-दादी सभी बहुत खुश थे।होते भी क्यों नहीं? आज चुन्नू दश के हो गए थे ।खूब विनम्र और आज्ञाकारी बच्चा ।पढ़ने में भी अव्वल ।कला से लेकर क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन, शतरंज तक खुशियाँ उसकी दासी थीं ।
इस समय महामारी के प्रकोप से जन्मदिन कहीं बाहर जाकर मनाना ठीक नहीं था।फिर घर की खूब सजावट हुई।बड़े-बड़े वही गुब्बारे लगे जो टीवी में जन्मदिन पर दिखाए जाते हैं। जन्मदिन के तमाम मनोरंजक गीत भी इंटरनेट टीवी गाने लगा। एक साथ जुड़वाँ बड़े-बड़े दो केक–एक पर बड़ा-सा एक और दूसरे पर शून्य का अंक बने, डिजाइनर मोमबत्तियों के साथ चुन्नू के 10 वर्ष के हो जाने की सूचना दे रहे थे ।घर के मंदिर में ही पूजा-तिलक के बाद ढेरों रोशनी से नहाए घर के बीचो-बीच बने हाॅल में केक कटा।सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुए भी तालियों की गड़गड़ाहट और ‘जन्मदिन मुबारक ‘ के शोर से हाॅल गूंज उठा ।घर-परिवार के कुछ ही लोग थे पर मज़ा बहुत आया ।
चुन्नू को तो अपने किसी अज्ञात, विशेष उपहार की प्रतीक्षा थी जैसा कि उनके पिताजी ने आजकल की आनलाइन पढाई के दौरान उनसे वादा कर रखा था । और लीजिये! चुन्नू की तो खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा जब वाकई कहीं छिपा कर रखी चमचमाती लाल सायकिल पिताजी निकाल लाए और चुन्नू को उसकी चाबी पकड़ा दी। वह सायकिल जो उनके नाप की थी और जिसे चलाना उनका एक सपना-सा था।फिर से तालियां बजीं,तस्वीरें खिचीं।सभी बेहद खुश थे।
सिर्फ एक बात चुन्नू को पता नहीं थी।वह यह कि इस कोरोना-काल में पिताजी की लाखों की नौकरी तो कब की छूट चुकी थी और यह तो दादा जी की पेंशन थी जो आज सायकिल के रूप में प्रस्तुत थी।हालांकि दादा जी को बेहद संतोष था कि इस आड़े वक़्त में आज उनकी पेंशन की खुशियों की टोली में एक और महत्वपूर्ण इजाफ़ा हुआ था ।
************ *मौलिक/स्वरचित *****************
——-राजेंद्र प्रसाद गुप्ता,10/11/2020•