मैंने हर फूल को दामन में थामना चाहा ।
पितृ दिवस ( father's day)
दूसरों की लड़ाई में ज्ञान देना बहुत आसान है।
अकेले मिलना कि भले नहीं मिलना।
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
आज का इंसान ज्ञान से शिक्षित से पर व्यवहार और सामजिक साक्षरत
हम अपना जीवन अधिकतम बुद्धिमत्ता के साथ जीना चाहते हैं, इसका
इक चाँद नज़र आया जब रात ने ली करवट
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
राष्ट्र भाषा -स्वरुप, चुनौतियां और सम्भावनायें
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ये शराफत छोड़िए अब।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हर तरफ बेरोजगारी के बहुत किस्से मिले
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
*हम बीते युग के सिक्के (गीत)*
सबने सलाह दी यही मुॅंह बंद रखो तुम।
I want to collaborate with my lost pen,