चुनिंदा अशआर
ख़्वाब तेरे ,तेरा ख़्याल लिए ।
ज़िंदगी यूं भी हम गुजारेंगे ।।
जिंदगी को बुना है हाथों से ।
हम भी बारीकियां समझते है।।
हमको पहचान अपनी प्यारी थी ।
हम बदलते तो हम नहीं रहते ।।
इसका हिस्सा कभी नहीं बनना ।
भीड़ पहचान छीन लेती है ।।
कुछ भी रहता नहीं है यादों में ।
वक्त लम्हों में बीत जाता है ।।
खुद से बे’वजह रूठ जाते हैं।
जिंदगी कब उदास करती है।।
ख्वाबों की तेरी दुनिया हक़ीक़त से दूर है ।
हासिल अगर नहीं तो तमन्ना फितूर है ।।
हर एक सांस की क़ीमत चुकाई है हमनें ।
जिंदगी हमने कहाँ, तेरा उधार रक्खा है ।।
-डाॅ फौज़िया नसीम शाद