चुनाव
सत्ता के गलियारों से अब
चुनावी बिगुल बज रहा है
तरह तरह के बैनरों से अब
देखो मेरा शहर सज रहा है
हर मोहल्ले की हर गली
साफ नजर आने लगी है
कभी इसके कभी उसके
नगमें नारे गाने लगी है
भूखे लाचार लोगों के घर
राशन और कपड़ों से भर गए
हर पार्टी के नेता आकर
झूठे वादे कर गए
ये सावन की हरियाली है
सिर्फ एक माह रहने वाली है
बीत जाएगा जब ये मौसम
हालत पहले जैसी होने वाली है
ये सब देख कर मुझको तो
दुख भी होता हंसी भी आती है
जो आसानी से समझ ना आये
समझ लो वही राज नीति है