चुनाव दौर
डल गए हैं चुनावी वोट
किसको मिली है सपोर्ट
डंके की लगी है जो चोट
किसमें कितना है खोट
किसकी किस्मत बुलंद
ईवीएम में हो गई है बंद
जनता किस पर रजामंद
उमंग तरंग तीव्र या मंद
चुनावी था हल्ला गुल्ला
शान्त हुआ हर मोहल्ला
पकौड़ा जलेबी रसगुल्ला
ठण्डा पड़ गया है जुमला
भटके रहे थे जो दर दर
गली गली में,हर घर घर
वापिस आए निज घर दर
चिंतन मंथन करें घर पर
मस्तक पर नहीं हैं सुकून
फीका पड़ गया है जुनून
सभी आँकड़ों में मशगूल
हारजीत चिंता में मशगूल
परिणाम अनुमान का दौर
कौनसा दल होगा सिरमौर
किसकी बन जाए सरकार
कौनसा हो जाए दरकिनार
जब खुलेगा ये बंद पिटारा
जीतेगा कोई जाएगा हारा
जो हारा फिरेगा दुखियारा
जो जीता वहाँ मौजें बहारां
हर बार होती उसकी जीत
जो होता मौके का है मीत
सदियों से चल रही है रीत
जनता हारे, ना होती जीत
सुखविंद्र सिंह मनसीरत