चुनाव चर्चा ( राकेश छंद )
चुनावी चर्चा
राकेश छंद 17 मात्राएँ
2212 21 2212
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पति पत्नी संवाद
आदित्य योगी धरे है धुरी ।
आवाज़ सुनता नहीं बेसुरी।
चौहान की शाख ऊँची बनी ।
फिर से घमासान बाजी ठनी।
रोडा हटाया पड़ा राह का ।
रुतबा बड़ा है अमित शाह का।
लेता खबर जाय घर घाट की ।
देगा बना बात कर्नाटकी ।
चुनना अगर आप मोदी चुनो।
बांकी सभी की कहानी सुनो ।
सोचो जरा प्राण प्यारे पिया।
मंदिर अवध में उसी ने दिया।
सबकी भलाई नियम से करे।
हिंदू हितों में न किंचित डरे।
कश्मीर घाटी हुई चैन से।
सत्तर हटी तीन सौ लेन से।
गौरव बढा विश्व में देश का।
घोड़ा बड़ा तेज ज्यों रेस का।
क्या सूझ आई अचानक तुझे।
साहस भरा ज्ञान देती मुझे।
भाषण सुहाने दिखे कायदा।
होना हमें कुछ नहीं फायदा ।
मन तो बड़ा आज संदेह में।
गुजरे जमाने इसी गेह में।
हाथी सरीखे सभी दाँत हैं ।
खाते रहे हम सदा मात हैं।
दिन तो हमारे कभी न फिरें।
पूरब गिरें या कि पश्चिम गिरें।
कोशिश करो कुछ दिखाओ कला।
होगा नहीं यों जरा भी भला।
सत्ता मिली पाप सारे धुलें ।
सब लाक चमचागिरी से खुलें।
पर यह कला तो न आती मुझे।
कैसे बताऊँ लखाऊँ तुझे ।
कविता रचूँ छंद में ढाल के।
कवि का रहूँ मैं धरम पालके ।
उलझन भरी ये निरी सीख है ।
इससे भली मांगना भीख है ।।
आया समय आज नजदीक है।
हालत हमारी हुई वीक है ।।
सिद्धांत तो पान की पीक है ।
जर्दा जहर सा मची कीक है ।
सब हैं छली राज की लीक है।
मोदी सभी में लगे ठीक है।
मोदी सभी में सितारा लगे ।
मोदी सुजन सा सहारा लगे।
मोदी सुशोभित वतन भाल में।
मोदी लगे श्रेष्ठ फिलहाल में।
बेकार में भाग्य ना कोसिये ।
है ये अशोभित तुम्हारे लिये।
फिर कह रही हूँ सभी को सुनो।
मेरे सजन सिर्फ मोदी चुनो।
जीवन हमारे लगे नौतपा ।
शीतल सुखद दे हवा भाजपा।
अनुकूल अवसर नहीं दूर है ।
अब तो कहो बात मंजूर है ।।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
6/6/23