चुनाव आ रहे हैं..?
गाँव में सड़क बन रही है,
पानी का नल भी लग रहा है
समाचार-अख़बार देखकर बताओ,
गाँव में हेलिकॉप्टर से चौकीदार आ रहा है ..?
गाँव के हर मोड़ पर,
फाइलें पकड़े अजनबी मिट्टी पर खड़ा है,
ये एस एस पी कलेक्टर साहब हैं,
आंखों पर देखो अब भी चश्मा लगा है ।
कोई माला पहना रहा है,
कोई चरणों में पगड़ी डाले पड़ा है,
कोई सड़क के गड्ढे भर रहा तो,
कोई आग लगाकर बाल्टी में पानी लेकर खड़ा है ।
गाँव-देहात मालिक हो रहे हैं,
शहर चुनावों में रंगत खो रहा है,
सितारे खेतों में कबड्डी खेल रहे हैं,
शायद परियों को दिल लुभाने का ठेका मिला है ।
योजनाओं पर योजनाएं खुल रही हैं,
जैसे योजनाओं का बंद बांध खुल गया है,
हाथों में फूल और केचियाँ ही केचियाँ है,
हर कोई लाल फीता काटने में व्यस्त हो रहा है ।
चाचा तुम भी आओ दादा तुम भी आओ,
तुम हमारी माता हो हमारी बहनों को साथ ले आओ,
मुंह से जैसे हर किसी के गुलाब जामुन फूट रहा है,
चुनावी राम राज्य में बलात्कारी भी शिष्टाचारी हो रहा है ।
बंद पड़ी फैक्टरीयों का ताला टूटा गया है,
मैनेजर युवाओं को काम पर बुलाने आ रहा है,
लोकतंत्र के चुनाव आ रहे हैं,
तिरंगे झंडे और बैनर बनाने का ऑर्डर मिल रहा है ।
चारो तरफ खुशियां ही खुशियां है,
चुनावी राम राज्य आ गया है,
देशभक्ति से लबालब गाँव की पगडंडियाँ हैं,
राष्टगान हर मुजरिम की आखों में शर्म से पानी ला रहा है ।
कलक्टर-एसपी भी आये है,
हाथ में लाल पेन और बंद फाइलें लाये है,
गाँव में होकर विकास की धारा बहाने,
सचिव के साथ सामंत एवं राजा साहब भी आये है ।
कोई कुँए से पानी खींच रहा है,
कोई हँसिया पकड़े खेत में खड़ा है,
चुनावी महाभारत काल में,
हर कोई द्रोण बनकर अंगूठा लूटने द्वार पर खड़ा है ।
मांस-मिठाई, कपड़े-शराब,
झोपड़ियों में बांटे जा रहे हैं,
घीसू जाटव के घर दाल भात खाने,
मंदिर संसद से ब्राह्मण देवता आ रहे हैं ।
किसान मजदूर माई-बाप हो गए हैं,
आतंकी-नक्सली भटके नौजवान,
अखबारों में नई उम्मीदें छप रही है,
आम आदमी को लूटने फिर से चुनाव आ गए हैं ।
प्रशांत सोलंकी
नई दिल्ली-07