चुनावी शतरंज
तू डाल डाल चले तो मैं चलूँ पात पात
राजनीति में क्या घात क्या प्रतिघात I
पिता को पटखनी देकर पुत्र ने जीता दंगल
राजनीति में रिश्तों का खूब हुआ अमंगल
जिसके विरोध से अस्तित्व मिला उसे बनाया भाई
सत्ता की चाहत ने घर में ही आग लगाई
भाई-बहन में धमा-चौकड़ी द्वन्द की राजनीति
बुआ-भतीजे की आपसी नरमी सत्ता की ही बात
तू डाल डाल चले तो मैं चलूँ पात पात
राजनीति में क्या घात क्या प्रतिघात I
चौधरी की चौधराहट से जनता रहती दूर
किसी का साथ किसी के पीछे चलने को मजबूर
छोटे-बड़े भाई के बीच जम गयी जुगलबंदी
एक अकेला लाठी थम कहे नहीं कटेगी नंदी
आरक्षण का जिन्न निकला भगवान के लिए मंदिर
अपना जाल बिछाते सभी हो जनता पर घात
तू डाल डाल चले तो मैं चलूँ पात पात
राजनीति में क्या घात क्या प्रतिघात I
अंग्रेजी लिबास में राजनीति, संग मफलर सवार
पांच नदियों की धारा में पकड़ी तेज रफ़्तार
नयी नवेली दुल्हन सज गयी खन्ना को दे चकमा
भूली-बिसरि याद हैं खन्ना, सत्ता चेलों के हक़ मा
हथेली का चोट है गहरा, लंबा अभ्यास किया
दिन हुए पीढ़ियों के जनता की हो गयी रात
तू डाल डाल चले तो मैं चलूँ पात पात
राजनीति में क्या घात क्या प्रतिघात I