चुनावी कुण्डलिया छंद
चुनावी कुण्डलिया छंद :
_________________________________
(१)
पंजा थामे साइकिल, सधी कमल की चाल.
इंजन सीटी दे रहा, हाथी करे धमाल.
हाथी करे धमाल, दौड़ता आगे-आगे.
ले अंकुश वह देख, महावत पीछे भागे.
आश्वासन दें उगा, शीश भी है यह गंजा,
मत चुपड़ें अब तेल, अधिक मत फेरें पंजा..
_______________________________________
(२)
नेता चीनी में पगे, मीठे मीठे बोल.
आश्वासन जो दे रहे, मधुर चाशनी घोल.
मधुर चाशनी घोल, सभी को हैं तैराते.
बेसुध हो हो लोग, वोट अपना दे आते.
हो जाता वह पार, नाव जो खुद ही खेता.
नित्य रचाए स्वांग, हुआ अभिनेता नेता..
_______________________________________
(३)
मतदाता के सामने, हाथ जोड़कर यार.
चिपका देते पम्फलेट, झेल रही दीवार.
झेल रही दीवार, व्यथित जब उसे छुड़ाये .
तब कागज़ के साथ, पेंट तक उखड़ा आये.
खर्चा साठ हजार, सोंच माथा झन्नाता,
कितना मँहगा वोट, दुखी सोंचे मतदाता..
_______________________________________
(४)
सेवा का वादा करें, ले विकास का चित्र.
प्रत्याशी अधिकाँश पर, मेवा चाहें मित्र.
मेवा चाहें मित्र, परखकर ही पहचानें,
अवसरवादी व्यक्ति, फँसा लेता है जानें,
स्वार्थ लोभ में फँसे, भ्रमित मन जो हे देवा,
उस पर कसें लगाम, तभी हो पाये सेवा.
_______________________________________
(५)
आया पर्व चुनाव का, रही चाशनी खौल.
मीठी गुझिया बँट रही, होली सा माहौल.
होली सा माहौल, लगा हर रँग में गोता.
आ जुटते हैं लोग, भ्रमण घर-घर है होता.
ले ‘अम्बर’ की भांग, चुनावी देखें माया.
सबसे पहले वोट, डालिए अवसर आया..
__________________________________________
(६)
आया समय चुनाव का, करना है मतदान.
वोट फलां को दीजिये, होती खींचतान.
होती खींचातान, सिफारिश भी मत मानें.
ठोंक बजा लें देख, व्यक्ति को ही पहचानें.
पांच साल तक चुके, भुगत भ्रष्टों की माया.
दरकिनार कर उन्हें उचित चुनिए जो आया..
______________________________________
(७)
मतदाता निकलें सभी सारे डालें वोट.
तभी साफ हो गंदगी, साथ हटेगी खोट.
साथ हटेगी खोट, अगर दृढ़ निश्चय होगा.
उससे होगी मुक्ति, रोग जो सबने भोगा.
जो होगा उपयुक्त, खुलेगा उसका खाता.
पुनः लीजिये जान, बड़ा सबसे मतदाता..
______________________________________
–छंदकार: इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
______________________________________