चुनरी
चुनरी सर पर लिए दबे पांव जब तू जाती है ।
घुघरू की खन खन से नींद मेरी उड जाती है ।।
झट से उठ कर पांव मेरे, खिड़की तक आते है ।
और निहार आंखे तुझे स्तब्ध सी रह जाती है ।।
सफेद सूट पर लाल चुनरी से ,
तेरी मुस्कान का रूप निराला होता है ।
और छम छम करती तेरी पायल का,
दिल पर घाव बड़ा गहरा होता है ।।