चींटी
चींटी हौसलों के बलबूते
कई गुना भार उठाती है
माँ जैसे सिर पे अपने
जिम्मेदारियों का संसार उठाती है
चींटी कोशिश करती है
नाना भांति प्रकार
सामने ज़ब होती उसके
चुनौतियों की ललकार
एक बार में उठता नहीं
तो सौ बार उठाती है
माँ जैसे सिर पे अपने
जिम्मेदारियों का संसार उठाती है
चुनौतियाँ रह -रह कर
चींटी से रंजिश करती हैं
फिर भी हार न मानती चींटी
कोशिश पर कोशिश करती है
चुनौतियों से भिड़ जाने को
चींटी औजार उठाती है
माँ जैसे सिर पे अपने
जिम्मेदारियों का संसार उठाती है
चींटी बढ़ती जाती है आगे
साथ कई गुना भार लिए
उस भार ने भी अनेकों बार
चींटी पर हैं प्रहार किए
देखो हौसला नन्ही चींटी का
जो तनिक भी न डगमगाती है
माँ जैसे सिर पे अपने
जिम्मेदारियों का संसार उठाती है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी