चींटी
दिन और रात एक कर देती,
अथक ही चलती जाती है।
श्रम से है पहचान जिसकी,
वह पिपीलिका कहलाती है।
क्या दिन क्या हो रात अंधेरी,
क्या नजदीकी क्या हो दूरी।
मेहनत करती जाती है ,
बस मेहनत करती जाती है ।
सीख लो हे इंसान,
यह नन्ही सी अदना सी जान ।
पर अपने से 50गुना तक ,
भार उठा ले जाती ।
कौन नहीं जानता उसको,
वह पिपीलिका कहलाती है ।
#विन्ध्यप्रकाशमिश्रविप्र