चिड़िया रानी
चिड़िया रानी चिड़िया रानी
लगती हो तुम बहुत सियानी
रंग बिरंगे जो हैं पँख तुम्हारे
दिल को भाते हैं खूब हमारे
हर रोज सुबह तुम आती हो
प्रेमभरा पैगाम तुम लाती हो
दाना चुगने को तुम आती हो
चीं चीं कर के गाना गाती हो
चिड़े राजा भी हैं साथ खड़े
माँग रहे दही बड़े खड़े खड़े
अकेली नहीं यहाँ आती हो
टोली में मधु राग सुनाती हो
आँखे तुम्हारी हैं बहुत प्यारी
सितारों जैसी लगती हैं प्यारी
पास तेरे है हम आना चाहते
उड़ कर तुम कहीं चले जाते
गर्दन में हैं सुन्दर मोती माला
डाली हो जैसे कोई वरमाला
सच में तुम हो आजाद परिंदा
सबको भाता सरताज परिंदा
अब कब तू वापिस आओगी
कब मधुर प्रेमराग सुनाओगी
सुखविंद्र सिंह मनसीरत