चिला रोटी
परदेसिया बाबु बसे कोसन म,
रंग बिरंगी पोता गे होही ।
हहो रद्दा- बाट के ठेला खजेना म ,
मुंह उंखरो चिकना गे हाेही ।
रंग- रंग के तेलपरा फोरन म,
जीव तुन्हरो असकटा गे हाेहि ।
अऊ मेहा अगोरा म
भिनसरहा के गोबर कचरा ,
सरा सीटका के सिसरी लगावत हौ ।
काली के आही सुनेव जोही ,
तबले अपने अपन अकचकावत हौ ।
माटी के चूल्हा गोबर के छेना ,
डोली खार ले लकड़ी लाने हौ ।
सितका कुरिया के जांता म ,
कनकी पिसान गारे हौ ।
कोनो दू मिनट वाला नूडल कहां..?
तोर बर चिला रोटी रांधे हौ ।
सिलबट्टी म चटनी पिसहुं ,
कोला बारी ले चिरपोटी लाने हौ ।
बांचे पीसान के स्वागत बर तोर ,
दुवारी म चउक पारे हौ ।
••लखन यादव (गंवार)••
गांव बरबसपुर, तह. नवागढ़ , बेमेतरा(३६गढ़)