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2 Feb 2024 · 1 min read

चिला रोटी

परदेसिया बाबु बसे कोसन म,
रंग बिरंगी पोता गे होही ।

हहो रद्दा- बाट के ठेला खजेना म ,
मुंह उंखरो चिकना गे हाेही ।

रंग- रंग के तेलपरा फोरन म,
जीव तुन्हरो असकटा गे हाेहि ।

अऊ मेहा अगोरा म

भिनसरहा के गोबर कचरा ,
सरा सीटका के सिसरी लगावत हौ ।

काली के आही सुनेव जोही ,
तबले अपने अपन अकचकावत हौ ।

माटी के चूल्हा गोबर के छेना ,
डोली खार ले लकड़ी लाने हौ ।

सितका कुरिया के जांता म ,
कनकी पिसान गारे हौ ।

कोनो दू मिनट वाला नूडल कहां..?
तोर बर चिला रोटी रांधे हौ ।

सिलबट्टी म चटनी पिसहुं ,
कोला बारी ले चिरपोटी लाने हौ ।

बांचे पीसान के स्वागत बर तोर ,
दुवारी म चउक पारे हौ ।

••लखन यादव (गंवार)••
गांव बरबसपुर, तह. नवागढ़ , बेमेतरा(३६गढ़)

Language: Chhattisgarhi
1 Like · 164 Views
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