चिरागों को इल्ज़ाम ना देना।
परवाना मदहोश है खुद ही जल जानें को।
चिरागों को इल्जाम ना देना वो है उजाले को।।
आज फिर बच्चे भूखे सो गए लोरी सुनकर।
ए खुदा पाक रहम कर दो ऐसी जिंदगियों पर।।
कड़ी धूप में साया भी साथ छोड़ देता है।
बुरे वक्त में कभी-कभी खुदा भी बुरा लगता है।।
कभी यहां के जयचंद जमीर को बेचते थे।
आज आवामी नेता इस वतन को बेचते है।।
सुना है आयते पढ़कर तुम दे देते शिफा हो।
कोई दुआ पढ़के फूंक दो राहत मिले बच्चे को।
दर्द सहने की आदत डाल लो जिंदगी में।
राहते ना मिलती है अब दुनिया में जीने में।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ