चिया की होली
दादू जब पिचकारी लाये ।
मजे चिया को कितने आये
बार बार भर भर कर पानी ।
खूब कर रही है शैतानी।
दादू को है कॉलेज जाना।
व्यर्थ गया उसको समझाना।
पिचकारी से धार चलाई।
दादा जी की आफत आई।
दादी को आवाज लगाई।
दादी भागी भागी आई।
दादा जी थे भीगे भीगे।
कुछ पोती पर खीझे खीझे।
दादी दादा जी से बोली।
चिया परी है कितनी भोली।
तुम ही लाये थे पिचकारी।
क्या करती फिर ये बेचारी।
चिया परी थोड़ा मुस्काई।
पिचकारी कुछ और चलाई।
दादी की भी भीगी सारी।
चिया पड़ी दोनों पर भारी।
मम्मी पापा आगे आये।
मगर नहीं बच वो भी पाये।
खूब हुई फिर हँसी ठिठोली।
हुई चिया सँग सबकी होली।
16-03-2022
डॉ अर्चना गुप्ता