चिन्ता और चिन्तन
तुम क्यों सोच रहे हो इतना,
क्यों तुम इतनी फिक्र करो?
नाम जपो बस नाम जपो,
प्रभु का तुम बस जिक्र करो।।
फिक्र करे से फिरे बुद्धि और
जिक्र करे से ज्ञान बढ़े।
चिंता करे से खून जलेगा,
चिंतन से बस मान बढ़े।।
समय अभी ना बचा फिक्र का,
और चिंता से ना काम बने।
जिक्र सदा हो जीभ पे तेरे,
और चिंतन से हर काम बने।।
सोच अभी ना कुछ भी तू तो,
बस अंश पे अपने ध्यान धरो।
तेरी पूजा तेरी मेहनत,
रंग लाई है आज घनो।।
ललकार भारद्वाज