** चित चंचल ***
रूप चंचल मन चंचल
मची दिल में हलचल
आज मन पहल कर
नव यौवना चित चंचल ।।
?मधुप बैरागी
कैद मुझको हुई है हालात -ए-कारागाह
स्वप्न आज भी मेरे भटके नहीं है राह
गुम होना नहीं मेरे ख्वाबों की हकीकत है
चल सकता जो संग मेरे नहीं ऐसा हमराह ।।
? मधुप बैरागी