चित्र आधारित दोहे
दिनांक – ०५ – १२ – २०१८
वार —– बुधवार
यह एक चित्र आधारित रचना है, किन्तु यहाँ चित्र साझा करनें का विकल्प नहीं है चित्र में एक गरीब छोटी बालिका फूल बेच रही है।
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पेट के लिए बालिका, बेच रही है फूल।
है विसंगति समाज की,नहीं क्षम्य यह भूल।।(१)
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फूल बेचती बालिका,खुद है कुसुमल फूल।
नैन लिए बेचारगी, इसकी कैसी भूल।।(२)
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स्वाभिमान इसका यही,लेकिन फिर लाचार।
इससे फूल खरीद कर, करें स्वयं उपकार।।(३)
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पढ़-लिख कर यह कुछ बने,थोड़ा करें विचार।खातिर पापी पेट के,यह बिटिया लाचार।(४)
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कोई मदद न चाहिए,बेचे माल बजार।
है सविनय यह प्रार्थना,गहें फूल दो-चार।।(५)
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(पटल पर चित्र देख कर स्वतःस्फूर्त प्रतिक्रिया-सादर समीक्षार्थ)
#स्वरचित_मौलिक_सर्वाधिकार_सुरक्षित*
अजय कुमार पारीक’अकिंचन’
जयपुर (राजस्थान)
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