चित्रकार
एक चित्रकार है
जो चित्र बना रहा है
सतत्
अबाध गति से
और मैं!
उन्हें बिगाड़ रहा हूँ
अस्त व्यस्त कर रहा हूँ
लेकिन. . . . . . !
वो
जो चित्रकार है
चित्र बना रहा है
अविराम
लगा हुआ है
यंत्रवत् चलित हैं
उसके उद्यमी से कर
लेकिन मैं. . . . . . !
वही कर रहा हूँ
चित्रों के साथ
चित्रकार के साथ
पर. . . . हाँ. . .
एक अंतर है
मुझमें
औ’ चित्रकार में
मैं. . . . . .
थका हुआ हूँ
चित्रों को बिगाड़ने में
और वो. . . . .
अथकित भाव से
निश्छल मुस्कान संग
लगा हुआ है
उन. . .
चित्रों को बनाने में
सोनू हंस