चित्त
चित्त गर लोभी हठी ,पग पग होती हार ।
समय काल सम ना रहे , करो ना अहंकार ।
करो ना अहंकार, सन्मन विमल सदा रहे।
जैसे जल की धार, समता रख पीड़ा सहे।
ढोंगी न कथाकार, अटल विश्वास प्रभु हित।
बन सच्चा दातार,अंत पछताता न चित्त ।
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अरुणा डोगरा शर्मा,
पंजाब।