चित्त को पंछी
चित्त को पंछी उछल-कूद मचावे
कुहूक -कुहूक कर के शोर मचावे
सुर -लय ताल में आस पंछी रह -रह
झूम झूम के मन मयूर नृत्य करावे
ना जाने कहाँ कहाँ की सोच आवे
चहुँ ओर जा घूम फिर कर आवे
आशा ,तृष्णा का ओर -छोर नहीं
फिर भी रह -रह हलचल मचावे
कभी जा आकाश में दूर उड़ आवे
कभी चाँद पर जा कर सैर कर आवे
कभी गहन समुद्र में जा कर उतरावे
मन के तोते मेरे चुरा ले उड़ जावे