चित्तचोर चौधरी
चित्तचोर चौधरी
मन चातक,नज़र बड़ी घातक,
दृश्य भोग में कछु न पातक,
अति मृदुभाषी, रति विलासी
विगतयौवना इनकी दासी,
सौंदर्य-रत्न के जौहरी।
चित्त चंचल, चित्तचोर चौधरी।
रति उपासक,संसर्ग साधक,
मिलन योग में बहुत ही बाधक,
मन मलंग, तन में हड़कम्प,
बेचैन रैन, न आया भूकंप,
मिलन आस अधूरी।
चित्त चंचल, चित्तचोर चौधरी।
सुनो हे प्राणी,कवि की वाणी,
गुजरा वक्त बहुर नहीं आनी,
कर धरम, तज मोह,भरम,
मौके पे करम, बस यही मरहम,
जो तेरी सो मेरी मजबूरी।
चित्त चंचल, चित्तचोर चौधरी।
-नवल किशोर सिंह
18-08-2018