Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2020 · 1 min read

चित्कार

जगत जननी नारी को
भगवान भी सर झुकाता है
मगर यह कलयुगी इंसान
क्यों नहीं नारी को पहचानता है,?
हर कदम पर दबाए इसे
आबरू को भी नोचता है
हवस का बनाए शिकार इसे
भगवान से भी नहीं डरता है,
लथपथ सनी पड़ी खून से
कोई इसे नहीं पोछता है,
खुद की बेटी लगे खूब प्यारी
दूसरों के बारे में नहीं सोचता है

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 667 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Meenu Poonia
View all
You may also like:
जब घर से दूर गया था,
जब घर से दूर गया था,
भवेश
मेरा जीवन,मेरी सांसे सारा तोहफा तेरे नाम। मौसम की रंगीन मिज़ाजी,पछुवा पुरवा तेरे नाम। ❤️
मेरा जीवन,मेरी सांसे सारा तोहफा तेरे नाम। मौसम की रंगीन मिज़ाजी,पछुवा पुरवा तेरे नाम। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
Ravi Prakash
तुम्हारी बेवफाई देखकर अच्छा लगा
तुम्हारी बेवफाई देखकर अच्छा लगा
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
दिल तक रखते
दिल तक रखते
Dr fauzia Naseem shad
🌹मेरे जज़्बात, मेरे अल्फ़ाज़🌹
🌹मेरे जज़्बात, मेरे अल्फ़ाज़🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
निकल पड़ो कभी ऐसे सफर पर भी
निकल पड़ो कभी ऐसे सफर पर भी
Chitra Bisht
मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
Rajesh Kumar Kaurav
हादसे
हादसे
Shyam Sundar Subramanian
लिख दूं
लिख दूं
Vivek saswat Shukla
"मुश्किल वक़्त और दोस्त"
Lohit Tamta
" क़ैद में ज़िन्दगी "
Chunnu Lal Gupta
बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
बेनाम जिन्दगी थी फिर क्यूँ नाम दे दिया।
Rajesh Tiwari
رام کے نام کی سب کو یہ دہائی دینگے
رام کے نام کی سب کو یہ دہائی دینگے
अरशद रसूल बदायूंनी
"आशा-तृष्णा"
Dr. Kishan tandon kranti
3911.💐 *पूर्णिका* 💐
3911.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दर्द  जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
दर्द जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
Ashwini sharma
सुबह सुबह उठ कर उनींदी आँखों से अपने माथे की बिंदी को अपने प
सुबह सुबह उठ कर उनींदी आँखों से अपने माथे की बिंदी को अपने प
पूर्वार्थ
इंटरनेट
इंटरनेट
Vedha Singh
संबंध क्या
संबंध क्या
Shweta Soni
कांच के जैसे टूट जाते हैं रिश्ते,
कांच के जैसे टूट जाते हैं रिश्ते,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
..
..
*प्रणय*
प्यासा के कुंडलियां (विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा')
प्यासा के कुंडलियां (विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा')
Vijay kumar Pandey
बेडी परतंत्रता की 🙏
बेडी परतंत्रता की 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जाने क्या छुटा रहा मुझसे
जाने क्या छुटा रहा मुझसे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
मौन
मौन
निकेश कुमार ठाकुर
बगिया
बगिया
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
Rituraj shivem verma
कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ
कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ
gurudeenverma198
Loading...