चिड़िया ( World Sparrow Day )
डाल-डाल पात-पात पर,
चिड़िया कैसे चहक रही है,
नील गगन के बादलों पर,
परियों जैसी डोल रही है ।
नहीं उसे किसी का भय,
न सोने की चिंता,
न उठने का समय,
हैं उसके अपने गीत अपनी लय।
आज़ादी से उड़ती रहती,
उस पर कोई रोक नहीं,
छोटे से घोंसले में रहती,
जिसे उसका कोई ग़म-शोक नहीं ।
बरसे पानी तो छम-छम नाचे,
उछले इधर-उधर जैसे धरती को नापे,
दाना जो देते वो इनको भाते,
ऐसों के आजीवन गुण गाते ।
हर मौसम में है गाती ,
मस्ती का पाठ पढ़ाती,
फूल-पेड़ों की सखी कहलाती,
दूर-दूर की उन्हें ख़बर सुनाती।
है छोटी सी पर उड़ान बड़ी,
चहकती रहती हर घड़ी,
घर इनका पेड़ों की टहनियों टेढ़ी-मेढ़ी,
न बाँध सकी इनको कोई बेड़ी।
जग इसको सारा अपना सा लागे,
नहीं प्रभु से कुछ और माँगे,
सुन इसकी सरगम हम प्रात: जागें,
देख भोली चिड़िया को जीवन से सब दुख भागें।
इंदु नांदल विश्व रिकॉर्ड होल्डर
इंडोनेशिया
स्वरचित