*चिड़िया यह बतलाती है (गीत)*
चिड़िया यह बतलाती है (गीत)
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नील गगन को कैसे छूते, चिड़िया यह बतलाती है
(1)
सुबह-सुबह उठकर चिड़िया को गाना सदा सुहाता
मीठी बोली सुन इसकी हर बाल-वृद्ध जग जाता
हल्का रखती वजन चार-छह दाने केवल खाती है
(2)
जब होती है शाम नियम चिड़िया का सोने जाना
गहरी नींद रात-भर सेहत का रहस्य पहचाना
फुदक-फुदक कर चलती रहती मस्ती दिन-भर छाती है
(3)
आगे जीवन में बढ़ते जो अनुशासन से रहते
मन के मौजी सदा नेह की धारा में जो बहते
घर-घर जाकर चिड़िया सब पर अपना प्यार लुटाती है
नील गगन को कैसे छूते चिड़िया यह बतलाती है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451