*चिट्ठी*
अब क्यों नहीं लिखते चिट्ठी
हाय! आज इंटरनेट का जमाना है,
भीड़ में भी आज जन वीराना है।
भूल गए सब चिट्ठी लिखना- पढ़ना
याद रहा केवल एस. एम. एस.
अपनों के मन का रंग भूल गए हैं।
दादी भी भूली अब राम- रहीम
याद रहा बस शार्टस और रील
आज बार – बार उन चिट्ठियों को
पढ़ने का स्वर भूल गए हैं।
चिट्ठियों को बार -बार देखकर हृदय भर जाना
सब कुछ मोबाइल के कारण छूट गए हैं।
इसे लानेवाला डाकिया भी अपना प्रिय होता।
अब तो नेट के रहने से हम अपनापन भूल गए हैं।
– मीरा ठाकुर