चिट्ठियाँ
आज के नूतन हयात में भी
चिट्ठी की रिवाज प्रचलित है
आर्यावर्त के भिन्न आलयों पर
चिट्ठी ही एकल दूतत्व पहुँचाती ।
लेटरबॉक्स में होती चिड़ियाँ
हर्ष – कष्ट का दुतत्व लातीं
सरकारों तक हमारी विचार
पहुँचाने का एकल माध्यम चिट्ठी।
चिट्ठी में भी धैर्यता होती है ,
मंजिल का अपने थाह पूछ ,
अपना – अपना मंजिल लहतीं ,
बिछरने का इन्हें विरह होता है।
एक सहचार्य रहने पर भी ,
ना हँसना ना रोना सहचार्य ,
कष्ट मत में दबायें गुरुत्व ,
दूसरों को सुनाने से त्रस्ते ,
लगता हम चिट्ठी गढ़ गए।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या