【1】**अटल इरादे चींटी के**
धूल भरी हूँ मैं लेकिन, परिश्रम से न मैं घबराती।
कठिन परिश्रम करके ही, खुशहाल जीवन को पास में लाती।
धूल भरी हूँ…………
{1} आये हवा सदा इठलाती, धूल और मिट्टी साथ में लाती।
मेरे पथ की राह मिटाती, मैं तो कभी भी न घबराती।
धैर्य से अपनी राह बनाती, अपने पथ पर बढ़ती जाती।
धूल भरी हूँ…………
{2} आता जब बारिश का मौसम, मेरी चिंता कुछ बढ़ जाती।
लेकिन फिर भी कठिन समय में, मैं मुझको मजबूत बनाती।
अचल-अड़ोल इरादे मेरे, अपनापन मैं भूल न पाती।
धुल भरी हूँ………..
{3} कितनी भी मुश्किल हो मंजिल, मैं न कभी पग पीछे हठाती।
बाधाओं का पहाड़ खड़ा हो, बाधा मुझको रोक न पाती।
अपने लक्ष्य को पूरा कर मैं , हर्षाती अपने घर जाती।
धुल भरी हूँ…………
{4} मैंने देखे लोग धरा पर, जिनको निद्रा बहुत सताती।
लाखों काम बिगड़ते उनके, निद्रा उनकी टूट न पाती।
अंत समय में सब पछताते, मेहनत उनकी रंग न लाती।
धूल भरी हूँ………..
सीखः- धरती का छोटे से छोटा जीव भी विशेषताओं से भरा हुआ है। हमें बस उनकी विशेषताओं को सीखना है।
Arise DGRJ { Khaimsingh Saini }
M.A, B.Ed from University of Rajasthan
Mob. 9266034599