“चाह “
“चाह ”
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कब तक निहारूँ
तेरी तश्वीर
कुछ बात करो तो कोई
बात बने !
तुम्हारी तश्वीर
को हाथ में लिए
फिरता हूँ
सामने आ जाओ तो कोई
बात बने !
दिन तो हमारे
कट जाते हैं
चांदनी रात में
आ जाओ तो कोई
बात बने !
दूर अब हम नहीं
रह सकते
तुमसे ..दीदार हो तो कोई
बात बने !!
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
दुमका