Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jan 2021 · 2 min read

चाह

चाह
अ दोस्त ज़रा हाथ बढ़ा ,
जीने की चाह है ।
आसमाँ थोड़ा झुक जाओ,
तुम्हें छूने की चाह है ।
हवा ज़रा प्रवाह तेज़ कर ,
तेरे संग उड़ने की चाह है ।
राहों बाँहें फैलाओ ,
मुसाफ़िर हूँ चलते रहने की चाह है ।
अ धरती माँ छूने दो चरण,
तुमसा दानी बनने की चाह है ।
समुंदर दो थोड़ा सा रास्ता ,
तुम्हारी गहराइयों को जीवन में उतारने की चाह है ।
अ ज्ञान उतरो आत्मा में ,
जागरूकता की चाह है ।
अ घमंड दूर ही रहना ,
तुम्हें मिटाने की चाह है ।
घृणा ना कभी तू आना निकट,
तुझसे ना कभी मिलने की चाह है ।
अ बचपन फिर गले लगाओ,
तुमसे कभी न बिछड़ने की चाह है ।
ख़ौफ़ कहीं जा ओझल हो जा ,
तुझसे स्वप्न में भी न मिलने की चाह है ।
अ पुष्प यूँ ही खिले रहना,
तुम्हें निहारते रहने की चाह है ।
ममता तुम आँचल में मेरे भरी रहना ,
तुम्हें खुद से अधिक प्यारों पर बरसाने की चाह है ।
उम्मीद सदा जगी रहना,
तुम्हें ज़िंदा रखने की चाह है।
उत्साह तुम जीवन से कभी न जाना,
तुम्हें मन में भरा रखने की चाह है ।
भावनाओं मेरी सदा मासूम रहना,
तुममें सदा पवित्रता की चाह है ।
अ मन तू विचलित न होना कभी,
तुझे शांत रखने की चाह है ।
मुस्कान मेरी तुम फीकी न पड़ना,
तुम्हें लबों पर सजाये रखने की चाह है ।
ज्ञान की नदियों बहती रहना,
बहुत कुछ सीखने की चाह है ।
कर्मों मेरे पाप से दूर ही रहना,
तुममें निश्छलता की चाह है ।
हे प्रभु ! तुम सदैव रहना आसपास,
हर पल तुम्हारे दर्शन की चाह है ।
इंदु नांदल
जकारता
इंडोनेशिया

Language: Hindi
15 Likes · 19 Comments · 434 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Indu Nandal
View all
You may also like:
अर्थ के बिना
अर्थ के बिना
Sonam Puneet Dubey
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
ओसमणी साहू 'ओश'
वो आँखें
वो आँखें
Kshma Urmila
विनती
विनती
कविता झा ‘गीत’
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
शिव प्रताप लोधी
कहने से हो जाता विकास, हाल यह अब नहीं होता
कहने से हो जाता विकास, हाल यह अब नहीं होता
gurudeenverma198
आंखन तिमिर बढ़ा,
आंखन तिमिर बढ़ा,
Mahender Singh
भ्रूण हत्या:अब याचना नहीं रण होगा....
भ्रूण हत्या:अब याचना नहीं रण होगा....
पं अंजू पांडेय अश्रु
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
Suryakant Dwivedi
दिल में बसाना नहीं चाहता
दिल में बसाना नहीं चाहता
Ramji Tiwari
रंगों के पावन पर्व होली की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभ
रंगों के पावन पर्व होली की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभ
आर.एस. 'प्रीतम'
🙅सेक्युलर्स के अनुसार🙅
🙅सेक्युलर्स के अनुसार🙅
*प्रणय*
सृष्टि की उत्पत्ति
सृष्टि की उत्पत्ति
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जय हिन्दू जय हिंदुस्तान,
जय हिन्दू जय हिंदुस्तान,
कृष्णकांत गुर्जर
गौण हुईं अनुभूतियाँ,
गौण हुईं अनुभूतियाँ,
sushil sarna
चिलचिलाती धूप में निकल कर आ गए
चिलचिलाती धूप में निकल कर आ गए
कवि दीपक बवेजा
मरना क्यों?
मरना क्यों?
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,
तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,
Shreedhar
गांव की गौरी
गांव की गौरी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"जाम"
Dr. Kishan tandon kranti
यही बात समझने में आधी जिंदगी बीत गई
यही बात समझने में आधी जिंदगी बीत गई
Ashwini sharma
काव्य में सत्य, शिव और सौंदर्य
काव्य में सत्य, शिव और सौंदर्य
कवि रमेशराज
देश की पहचान
देश की पहचान
Dr fauzia Naseem shad
तेरे मेरे दरमियाँ ये फ़ासला अच्छा नहीं
तेरे मेरे दरमियाँ ये फ़ासला अच्छा नहीं
अंसार एटवी
मेरी नज्म, मेरी ग़ज़ल, यह शायरी
मेरी नज्म, मेरी ग़ज़ल, यह शायरी
VINOD CHAUHAN
घर घर मने दीवाली
घर घर मने दीवाली
Satish Srijan
तन मन मदहोश सा,ये कौनसी बयार है
तन मन मदहोश सा,ये कौनसी बयार है
पूर्वार्थ
*मैं पक्षी होती
*मैं पक्षी होती
Madhu Shah
मिथ्याक भंवर मे फँसि -फँसि केँ
मिथ्याक भंवर मे फँसि -फँसि केँ
DrLakshman Jha Parimal
Loading...