चाहे हो शह मात परिंदे..!
चाहे हो शह मात परिंदे।
मत ले तू खैरात परिंदे।
वक़्त बुरा है आज मगर कल,
बदलेंगे हालात परिंदे।
डर मत, रख उम्मीद खुदा पर,
किसकी क्या औक़ात परिंदे..?
नेकी करने से ही मिलती,
ईश्वर से सौगात परिंदे।
झूठ फ़रेब निपट अभिमानी,
केवल आदमजात परिंदे।
चूमेगी क़दमों को मंज़िल,
कर महनत दिन-रात परिंदे।
सूखी फस्ल खड़ी देख हुई,
बिन मौसम बरसात परिंदे।
इश्क़ ज़ह्र है पागल.., तेरे,
नाज़ुक हैं जज़्बात परिंदे।
मौका ढूंढ़ रहे हैं क़ातिल,
घूम न रात-बिरात “परिंदे”।