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8 Dec 2021 · 1 min read

चाहे रावण कोई

**चाहे रावण कोई (ग़ज़ल)*
***********************

छूने ना पाए दामन कोई,
आ जाए चाहे रावण कोई।

आंचल अस्मत से सटने ना दे,
कितना हो प्यारा भावन कोई।

चुनरी सीने से चिपकी रहती,
बेशक सूखा हो सावन कोई।

उठती लपटें है जलती-बुझती
रिश्ता कितना हो पावन कोई।

होती है लज्जा दो आँखों की,
रखिये घूंघट फुट बावन कोई।

जावन है तो बन जाती बातें,
रखना पड़ता है जामन कोई।

मनसीरत से मत कड़वा बोलो,
मीठे में चाहे लावण कोई।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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