चाहे तो बिना फूलों के रह लें पर
जो कोई आपका साथ न
चाहे
उसका साथ समय रहते और
जल्द से जल्द छोड़ देने में ही
भलाई है
लोग गुजरते वक्त के साथ
मोम से पिघलकर सुधरते नहीं
बल्कि
एक लोहे की छड़ से कठोर होकर
आप जैसे बूढ़े, कमजोर और
लाचार को
समय और आपके बुरे
हालातों का फायदा उठाकर
और पीटते हैं
जो जैसा है वह
सारी उम्र वैसा ही रहेगा
कांटो में उलझे रहने से
बेहतर है कि
चाहे तो बिना फूलों के रह लें
पर
खुद का दामन बचाते हुए
खुद का दिल संभालते हुए
खुद की आत्मा को लहूलुहान
न करते हुए
समय रहते
खुद को सम्मान देते हुए
खुद के लिए
मरने से पहले
थोड़ा सा जी लें।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001