चाहे कुछ भी हो अंजाम
सर यह रही हमारी कमाई देख लो जी भरक के
हो सके तो माफ़ कर दो मगर यह गलती बार बार
करूँगा ,तुम चाहकर भी जप्त नहीं कर सकते
ना ही छीन सकता कोई ऊपरवाला भगवान
सर आज तक का इतिहास रहा हैं की सच
और इंसानियत को गले लगानेवालो को
इनाम में सजा ही मिलती हैं कभी गोली
तो कभी सत्ता का घमंड और डंडे का प्रसाद
सर क्या करे ? मैं आदत से मजबूर हूँ
मुज़से देखा नहीं जाता उन गरीबो का
दुःख दर्द , उनकी भूख ,उनकी याचना
मैं नहीं रोख पाता अपने आप को कभी
सर आपको बिनती हैं एक मेरी
चाहे कुछ भी करो मगर मुझे मेरा
काम करने दो चाहे कुछ भी सजा दो
मंजूर हैं मगर मैं ना रुकूंगा न थकूंगा
सर मुझे मालूम हैं मैं सबकी मदद नहीं कर सकता
मगर जितना भी बन सके मैं करता रहूँगा तब तक
जब तक साँस रूकती नहीं उनका स्नेह प्यार हैं साथ
चाहे कुछ भी हो अंजाम मैं लड़ूंगा आखरी साँस तक