चाहिए सुकून जिंदगी में
कब तक सब्र करेगा कोई
जब सांझ को भी घर लौटे न कोई
दुखी मन से कुछ नहीं होगा
ढूंढने की कोशिश तो करे कोई।।
जानता हूं, खोया है वो यहीं कहीं
अरसा हो गया जबसे उसे देखा नहीं
है डर मुझे, नहीं मिला गर अभी वो
वो हो न जाए हमारे लिए अनजान कहीं।।
बचपन में रहा करता था हमेशा साथ वो
दोस्तों संग खेलने आ जाता था साथ वो
होता था मैं जब कभी मां की गोदी में
मुझसे ज़्यादा खुश होता था मेरे साथ वो।।
जैसे जैसे उम्र बढ़ती गई हमारी
वो जाने क्यों दूरी बनाने लगा
देखते ही देखते, दूर जाने के मुझसे
वो जाने क्यों बहाने बनाने लगा।।
आज तो उसे देखे बरसों हो गए
जाने क्यों मुझसे वो रूठ गया
कुछ तो गलतियां की होगी मैंने
जो आज वो इतना बुरा मान गया।।
ज़िंदगी में उसके बिना कुछ भाता नहीं
महलों में रहकर भी वो मज़ा आता नहीं
कुछ नहीं है इस ज़िंदगी में अगर
तुम्हें चंद पल भी सुकून आता नहीं।।
खो गया है तो अब ढूंढो उसे
जीवन को अपने जी लो खुशी से
होगा जीवन में अगर सुकून हमारे
कट जायेगा ये जीवन खुशी से।।