चाहिए अर्जुन की नज़र
लक्ष्य पाने के लिए
चाहिए अर्जुन की नज़र
नही होगा भटकाना
ये मन इधर उधर
सुन आवाज मन की
होगा निशाना साधना
न भटकना पथ से कहीं
रखना समर्पित भावना
फिर रोक सकता ही नहीं
कोई सफलता पाने से
तीर जाकर के लगेगा
सीधा ही ठिकाने से
इक बात मगर तुमको
रखनी होगी ये याद
ये हार जीत दोनों ही
हैं जीवन की सौगात
क्योंकि ऐसा ही होता है
ये ज़िन्दगी का सफर
डॉ अर्चना गुप्ता