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14 Sep 2021 · 1 min read

चाहत

लबों पर तिश्नगी कायम रही हरदम ,
एहसास के सराबों में भटकता रहा हर कदम ,
हमराह भी हमक़दम ना रहे ,
हम-नफ़स भी हमदम ना रहे ,
ज़ख़्मे दिल लिए मुदावा ढूंढता फिरा,
नासेह ना कोई चारागर मुझे मिला ,
सहर होते ही उम्मीद सी बँध जाती रही ,
शाम होते ही तमन्ना इज़्तिराब में ढलती रही ,

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 319 Views
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