चाहत
वो गुल तो चाहते हैं मगर खार नहीं चाहते
मंज़िल तो चाहते हैं राह दुश्वार नहीं चाहते
ज़रा सा देर से आना भी गवारा नहीं करते
मुलाकात चाहते हैं मगर इंतज़ार नहीं चाहते
हमें सबके दिलों में इत्तेहाद कायम करना है
अपने दर्मियां इक्तिलाफ की दीवार नहीं चाहते