चाहत नहीं और इसके सिवा, इस घर में हमेशा प्यार रहे
चाहत नहीं और इसके सिवा, इस घर में हमेशा प्यार रहे।
कोई झगड़ा नहीं हो कभी, हम मिलकर हमेशा साथ रहे।।
चाहत नहीं और इसके सिवा———————।।
बहुत अरमान से यह सींचा है चमन, अपने लहू को बहाकर।
नहीं मुरझाये कोई फूल इसमें, महका हमेशा यह गुलशन रहे।।
चाहत नहीं और इसके सिवा———————-।।
मतलब हो सबको आपस में, अहमी नहीं हो कोई यहाँ।
दुःख- दर्द को बाँटे आपस में, हंसता हुआ हर दिल रहे।।
चाहत नहीं और इसके सिवा——————-।।
यह महलो- दौलत तो बना लूंगा मैं, अपना पसीना बहाकर।
लेकिन दौलत से नहीं मिलता है चैन, हमेशा यहाँ चैन रहे।।
चाहत नहीं और इसके सिवा——————–।।
किसी का कदम बहके नहीं, कभी लालच में, गलत राह में।
गर्व सभी को इस घर पे हो, सम्मान हमेशा इस घर का रहे।।
चाहत नहीं और इसके सिवा——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)