चाहत की बाते
करो तुम न हमसे अदावत की बातें।
करो तुम हमेशा मुहब्बत की बातें।
बहुत हो चुकी ये शरारत तुम्हारी,
ज़रा कर लो अब तुम शराफ़त की बातें।
करो बात हमसे मुहब्बत की हर दम,
भुला दो सभी तुम शिकायत की बातें।
सुनो बात सब की करो अपने मन की,
किसी से करो मत मलामत की बातें।
सुबह-शाम हर दिन सड़क से सदन तक,
सभी और है अब सियासत की बातें।
भला कब हुआ उल्झनों में उलझ कर,
कभी तो करो तुम सक़ाफ़त की बातें।
हमेशा हमेशा यूँ कहते रहो तुम,
मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत की बातें।
सभी से करो मत कहीं भी कभी भी,
सरेआम दिल जाँ ये चाहत की बातें।
चुरा के मेरा दिल मुझे पूँछते हो,
ये होती है क्या- क्या इजाज़त की बातें।
मिला है सभी कुछ यूँ छोड़ों भी लालच,
करो मत सदा तुम विरासत की बातें।
शहद घोलती है सुधा जब जुबाँ से ,
सभी लोग करते है उल्फ़त की बातें।
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
वाराणसी,©®