चाहते तो सब हैं
चाहते तो सब हैं, पर पाते नहीं।
लक्ष्य तो सब चाहते हैं,
पर सब उसे पाने के लिए अपना कर्म निभाते नहीं।
चाहने और पाने में बहुत फर्क है यह सब समझते नहीं,
अगर हम कर्म करें,तो फल देने में इश्वर अघाते नहीं
चाहते तो सब हैं,पर पाते नहीं।
चाहते तो सब हैं, पर पाते नहीं।
लक्ष्य तो सब चाहते हैं,
पर सब उसे पाने के लिए अपना कर्म निभाते नहीं।
चाहने और पाने में बहुत फर्क है यह सब समझते नहीं,
अगर हम कर्म करें,तो फल देने में इश्वर अघाते नहीं
चाहते तो सब हैं,पर पाते नहीं।