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5 Jan 2018 · 1 min read

” ———————————— चाल चल गये ” !!

बोले क्या बवाल कर गये !
जीना बस मुहाल कर गये !!

भीड़तंत्र का रुख यों मोड़ा !
सबका बुरा हाल कर गये !!

पुलिस प्रशासन बेचारे से !
और सयाने चाल चल गये !!

गाथा कहते नज़र वोट पर !
नेताजी कमाल कर गये !!

बेच बेच कर कल के सपने !
खुद को मालामाल कर गये !!

दोष धरा दूजों के सिर पर !
अपनों को निहाल कर गये !!

खुद के पास जवाब नहीं है !
औरों से सवाल कर गये !!

प्रजातन्त्र की यही खूबियां !
जनता को बदहाल कर गये !!

बृज व्यास

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