मत चल मानुष ! उल्टी चालें
ताटंक छंद
मत चल मानुष ! उल्टी चालें
एक दिवस पछताएगा ।
समय निकलने पर हाथों से
वापस कभी न आएगा ।
जो सच्चे – सीधे होते हैं
वे आगे बढ़ पाते हैं ,
टेढ़ी चालें चलने वाले
खंदक में गिर जाते हैं ।
डॉ रीता
आया नगर , नई दिल्ली- 47