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10 Aug 2022 · 1 min read

*चालू* *(हास्य कुंडलिया)*

चालू (हास्य कुंडलिया)
★★★★★★★★★★★
चालू दुनिया हो गई , चालू हर इंसान
चालूपन से चल रहा ,जग का सभी विधान
जग का सभी विधान ,सफलता चालू पाते
चूना लगा अपार , चलाते चालू – खाते
कहते रवि कविराय , कचालू हो या आलू
नमक – मिर्च का स्वाद ,बनाता उनको चालू
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

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