Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2017 · 1 min read

दो सेदोका

प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
—————–
दो सेदोका
01.
दीपक जला
रोशन कर चला
वह जग समूचा
राह दिखाता
थकी, हारी व झुकी
निविड़ तम निशा ।
—-0—-
02.
बूढ़ा दीपक
रात भर था जागा
थका, दिन में सोया
कोने में पड़ा
मधुर स्मृति स्वप्न
संजो रहा अकेला ।
—-00—-
– प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
मो.नं. – 7828104111
pkdash399@gmail.com

Language: Hindi
545 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

ग़ज़ल _ सर को झुका के देख ।
ग़ज़ल _ सर को झुका के देख ।
Neelofar Khan
फूल चुन रही है
फूल चुन रही है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
बदलती जिंदगी
बदलती जिंदगी
पूर्वार्थ
चुनाव नियराइल
चुनाव नियराइल
आकाश महेशपुरी
मनुष्यता कोमा में
मनुष्यता कोमा में
Dr. Pradeep Kumar Sharma
..
..
*प्रणय*
*बना दे शिष्य अपराजित, वही शिक्षक कहाता है (मुक्तक)*
*बना दे शिष्य अपराजित, वही शिक्षक कहाता है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
ठंडा मौसम अब आ गया
ठंडा मौसम अब आ गया
Ram Krishan Rastogi
हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"सूरत और सीरत"
Dr. Kishan tandon kranti
कोई गुरबत
कोई गुरबत
Dr fauzia Naseem shad
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
Keshav kishor Kumar
दो जूते।
दो जूते।
Kumar Kalhans
मुकद्दर तेरा मेरा एक जैसा क्यों लगता है
मुकद्दर तेरा मेरा एक जैसा क्यों लगता है
VINOD CHAUHAN
तुम ही सुबह बनारस प्रिए
तुम ही सुबह बनारस प्रिए
विकास शुक्ल
सज गई अयोध्या
सज गई अयोध्या
Kumud Srivastava
हर इंसान वो रिश्ता खोता ही है,
हर इंसान वो रिश्ता खोता ही है,
Rekha khichi
टेढ़े-मेढ़े दांत वालीं
टेढ़े-मेढ़े दांत वालीं
The_dk_poetry
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
Shweta Soni
इन्सानी रिश्ते
इन्सानी रिश्ते
Seema Verma
3208.*पूर्णिका*
3208.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पद और गरिमा
पद और गरिमा
Mahender Singh
**** महफ़िल  तेरे नाम की *****
**** महफ़िल तेरे नाम की *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आदमी और गधा
आदमी और गधा
Shailendra Aseem
घर के आंगन में
घर के आंगन में
Shivkumar Bilagrami
मैंने चांद से पूछा चहरे पर ये धब्बे क्यों।
मैंने चांद से पूछा चहरे पर ये धब्बे क्यों।
सत्य कुमार प्रेमी
शाबाश चंद्रयान-३
शाबाश चंद्रयान-३
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
आ अब लौट चले
आ अब लौट चले
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
Loading...