Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2021 · 1 min read

चार शब्द की महिमा

चार दिन की चाँदनी है,फिर तो अँधेरी रात है |
चार के कंधो पर जाओगे,यही आखरी बात है ||

चार पैसे क्या कमा लिए,दिमाग कैसे चढ़ गए |
चार दिन की नई बहू के,ये भाव कैसे बढ़ गए ||

चार पैसे जब कमाओगे,तब पता तुम्हे भी चल जायेगा |
अभी बाप की कमाई खा रहे बाद में पता चल जायेगा ||

चार अक्षर क्या पढ़ लिए,अपने को विद्वान समज बैठे |
चार विद्वानों की सुनोगे,तब पता चलेगा तुम कहाँ बैठे ||

चार दिन जम के न बैठोगे,फिर कमाई क्या कर पाओगे |
नहीं बैठोगे तुम दुकान पर,दुकान को भी तुम गवांओगे ||

चार दिन की ये बहू,हमे ही ये सब पाठ पढ़ा रही |
हमे तो कुछ भी आता नहीं,यही सब सिखा रही ||

चार बर्तन होते है जब घर में.तो अवश्य वे खड़केगे |
चार पैसे होते है जब जेब में वे दिमाग में खड़कगे ||

चार चवन्नी थी जब चांदी की,बोलते थे जय गाँधी की |
आज चवन्नी जब न रही, बोलते जय राहुल गाँधी की ||

आर के रस्तोगी

Language: Hindi
1 Comment · 432 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all
You may also like:
पीर
पीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
हे अयोध्या नाथ
हे अयोध्या नाथ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
She was beautiful, but not like those girls in the magazines
She was beautiful, but not like those girls in the magazines
पूर्वार्थ
मेरी कलम......
मेरी कलम......
Naushaba Suriya
"अनमोल"
Dr. Kishan tandon kranti
😊इशारा😊
😊इशारा😊
*प्रणय प्रभात*
दोहा
दोहा
sushil sarna
कुछ कहूं ना कहूं तुम भी सोचा करो,
कुछ कहूं ना कहूं तुम भी सोचा करो,
Sanjay ' शून्य'
Baat faqat itni si hai ki...
Baat faqat itni si hai ki...
HEBA
मूल्यों में आ रही गिरावट समाधान क्या है ?
मूल्यों में आ रही गिरावट समाधान क्या है ?
Dr fauzia Naseem shad
कौन कहता है कि लहजा कुछ नहीं होता...
कौन कहता है कि लहजा कुछ नहीं होता...
कवि दीपक बवेजा
मैं अपना गाँव छोड़कर शहर आया हूँ
मैं अपना गाँव छोड़कर शहर आया हूँ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*धारा सत्तर तीन सौ, अब अतीत का काल (कुंडलिया)*
*धारा सत्तर तीन सौ, अब अतीत का काल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जीवन में सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मैं स्वयं को मानती हूँ
जीवन में सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मैं स्वयं को मानती हूँ
ruby kumari
छोड़ने वाले तो एक क्षण में छोड़ जाते हैं।
छोड़ने वाले तो एक क्षण में छोड़ जाते हैं।
लक्ष्मी सिंह
मेरे मौन का मान कीजिए महोदय,
मेरे मौन का मान कीजिए महोदय,
शेखर सिंह
गिलहरी
गिलहरी
Kanchan Khanna
Time
Time
Aisha Mohan
मैं ज्योति हूँ निरन्तर जलती रहूँगी...!!!!
मैं ज्योति हूँ निरन्तर जलती रहूँगी...!!!!
Jyoti Khari
मतदान
मतदान
Dr Archana Gupta
শহরের মেঘ শহরেই মরে যায়
শহরের মেঘ শহরেই মরে যায়
Rejaul Karim
जब मुझसे मिलने आना तुम
जब मुझसे मिलने आना तुम
Shweta Soni
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
Rj Anand Prajapati
इन दरख्तों को ना उखाड़ो
इन दरख्तों को ना उखाड़ो
VINOD CHAUHAN
छन्द- सम वर्णिक छन्द
छन्द- सम वर्णिक छन्द " कीर्ति "
rekha mohan
वो ख्वाब
वो ख्वाब
Mahender Singh
हम भी अगर बच्चे होते
हम भी अगर बच्चे होते
नूरफातिमा खातून नूरी
माँ-बाप
माँ-बाप
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
मेरा नौकरी से निलंबन?
मेरा नौकरी से निलंबन?
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
हंसगति
हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...