दोहे
राम राज की कामना, करते हो दिनरात।
फिर काहे तुम जल उठे, सुनकर मेरी जात।।
सोचो शाहिनबाग बाग में, अभी जमें हैं लोग।
अपने नेता कह रहे, लगा रहे हैं भोग।।
देखो झूठी शान में,ढकते हैं वो गांव।
जीवन क्यों सस्ता यहाँ, लूट रहे क्यों ठांव।।
अब तो बच्चे कह रहे, सुन लो मेरे बाप।
देकर गोली नींद की, गला दबाना आप।।
जटाशंकर “जटा”
२२-०२-२०२०