*चार दिवस का है पड़ाव, फिर नूतन यात्रा जारी (वैराग्य गीत)*
चार दिवस का है पड़ाव, फिर नूतन यात्रा जारी (वैराग्य गीत)
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चार दिवस का है पड़ाव, फिर नूतन यात्रा जारी
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( 1)
चार दिवस इस दुनिया में ,हॅंस-हॅंसकर समय बिताया
चार दिवस तक रहे संग, दुनिया-भर को भरमाया
खाली हाथ अचानक ही, फिर चलने की तैयारी
(2)
तिनका-तिनका जोड़ गृहस्थी, सुंदर एक बनाई
सौ-सौ रंग भरे कुछ ऐसे ,रंगोली बन आई
बिखर गई संबंधों की, फिर एक दिवस फुलवारी
(3)
सॉंसों से यह तय होता है, किसको कितना रहना
समय सुनिश्चित है सॉंसों का, रुकना अथवा बहना
अंतिम सॉंस हमेशा पड़ती, है जीवन पर भारी
चार दिवस का है पड़ाव ,फिर नूतन यात्रा जारी
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 5451